बहुत दिन हुए कुछ भी लिखे हुए, कभी लिखने को कलम न मिली तो कभी अफसाने न मिले, पर लिखना ज़रूरी है! ज़िन्दगी में बहुत कुछ ऐसा घटता रहता है, जो हमसे पूछ के नहीं होता और न होगा! मैं जो आज कह रहा हु वो कल भी वैसा ही सुनाई दे ये ज़रूरी तो नहीं! मौसम आज अच्छा है चलो थोड़ी जेहनी अय्याशी कर ली जाये, दिल से फिर एक दिल्लगी कर ली जाये!
चलो आज थोड़ी सी Rum पी ले, छत पे तो रोज़ चदते है आज बादलों के पार वाले ग़म पी ले!
बादलों के पार भी तो कोई रोता ही होगा, चलो एक छलांग भर के उसके ज़ख्म सी ले!!
और जब मैं बहकने लगु, तो दोस्त होने के नाते ये फ़र्ज़ है तेरा!
के तू मेरे हाथ न रोके और ये न कहे की थोडा कम पी ले!!
सुनते है ग़ालिब को भी पीने का शौक था, अच्छा शौक था!
सयाने होते है पीने वाले, चाहे आज इस बहाने से और कल उस बहाने से पी ले!!
Rum के खुलते ही फैल जाती है खुशबू फिज़ाओ में, रुको यार ज़रा महसूस तो करने दो!
उफ़ अब ना रोक साकी, चाहे तो मेरी शर्म पी ले!!
kya baat hai sirji , lajawab
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