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Showing posts from October, 2014

Tere Ishq Ne (Ghazal)

Tere Ishq ne mujhko Rang dala piya, Ke main Lal hui...Behaal hui. Nazron ne teri mujhe madhosh kiya, Ke main haar gayi..dil haar gayi. Tere Ishq ne.... Mehfil mein yun to sab moujood they, par main jidhar gayi, teri khabar gayi. Tera Aks hai ya tu hai Roo-Ba-Roo, Ke main bawri...teri Bawri. Tere Ishq ne... Din aur raat ka, ab bhed nahi, ke main bhool gayi...sab bhool gayi. Besudh na kaho.. na behosh mujhe, main jaan gayi...ke meri jaan gayi. * Tere Ishq ne...

सोच (an abstract)

वो, जो झूठ की धुंध के आर पार है. . .  वो, जो दिमाग के कोलाहल की आखिरी सीमा से भी परे है ! वहां, जहां शाम और रात के बीच एक नयी सुबह होती है, जहाँ एक लम्हा मरता है और दूजा जन्म लेता है !! उन परिंदो की उड़ानों और पंखो के बीच हवा का क़त्ल होते मैंने देखा है ! एक नंगा साधु जो सच को पारिभाषित करता है, एक सांप का बाम्बी से निकलना और चील के हवा में गोता लगाने की ललक !! दूर से आती रोशनी और दूर जाती दिखती है, ये जो ब्रह्माण्ड का विस्तार है, मेरा भी यही आधार है ! पानी है जो ज़मीन और आकाश के बीच का भेद है, मेरे चेतन और अवचेतन मन में शून्य हो जाने का संकेत है! जो अलौकिक प्रकाश तुमसे फूट रहा है, उसे क्या कहु, तुम में रक्त नहीं तुम सिर्फ 'सोच' हो मेरे कपाल की !!