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Showing posts from November, 2015

धर्म युद्ध

हर कोई परस्पर भिड़ जायेगा । धर्म युद्ध जब छिड़ जायेगा ।। नर मुण्ड पड़े होंगे, लगेगा खूब लड़े होंगे । इक तरफ़ा सुनवाई होगी, अनगिनत रूसवाई  होंगी ।। चेतने का वक़्त जा चुका, पीछे लौटने का अवसर नहीं । आगे बढ़ ओ धर्म योद्धा, उठा फरसा बन परशुराम फिर ।। काट दे अधर्म की डोर, जला दे पाप की नगरी। हर कोई तुझमें मिल जायेगा, धर्म युद्ध जब छिड़ जाएगा ।।