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Showing posts from July, 2011

Kaise maan lu!!

कैसे मान लूँ की तुम बेवफाई नहीं करोगी? कसम तो सभी खाते है! कैसे मान लूँ की तुम रुसवाई नहीं करोगी? तमाशा तो सभी बनाते है!! चलो एक बार एतबार कर भी लूँ तुम्हारा, तो क्या? वार तो सभी करते है! मत दिखाओ तुम्हारी ये ऑंखें, क्यूंकि कुछ नहीं होने वाला! मुझे मालूम है की तुम भी बेवफा हो? वफादार हुस्न कभी हुआ है!! वैसे तुम्हे बता दूँ, एक नज़र में मुझे प्यार कभी नहीं हुआ है! ये सितारों की गलती है, और वो ही भुगतेंगे! देखो! कैसे टूट-टूट कर ज़मी पर गिर रहे है!! ना ना उठाओ ना इन्हें, भला टूट के भी चीज़ कोई जुडी है! जाओ अपना दिल कही ओर बहलाओ, किसी और से खेलो! छोड़ दो मुझे अकेला,  जैसा सब करते है! सताएगा अकेलापन तो आ जाना मेरे दरवाज़े  खुले है, बंद तो बस ये हवा के झोंके करते है!!

मिटटी का शेर

रेल की पटरियों के बीच पड़ा, सुबह के कोई 4 बजे वो सोच रहा जैसे पूरी ज़िन्दगी का निचोड़! जेब खाली, चेहरे पर छाई बदहाली, किसी के लिए भी मुमकिन था, सोच लेना की ये ख़ुदकुशी है!! पर वो शांत था, ठीक वैसे ही जैसा हमने साधुओं को देखा है! हालत उसकी सिफर और मुक्कम्मल दोनों थी, बस नज़र का फेर था!! वो मुस्कुराया शायद जैसे उसे कुछ याद आया, हाथों में हरकत हुई और होठ बुदबुदाये! ओह! अब थोड़ी आवाज़ भी आ रही है, शायद उसकी जीभ फिजा में गाना घुला रही है!! अरे ये तो मगन हो गया, इतना की दूर से आता शोर करता इंजन इसे सुनाई ही नहीं दे रहा! इंजन पास आ रहा है, ये बेवकूफ अपनी मौत को दावत देता हुआ और जोर से गा रहा है!! मैंने देखा है बचपन में पटरियों पर रखे सिक्का को, जब गाड़ी पास आती है पटरियां थर्राती है! वक़्त है, चाहे तो लौट जा, क्यूँ ख़बर बनना चाहता है किसी नाकाम से अखबार की!! गाना तेज़ होता जा रहा है, इंजन को क्या फर्क पड़ता है सामने पटरी हो, सिक्का हो या सर! अरे क्यूँ  पटरियों को कस के जकड़ रहा है, खुद पे भरोसा नहीं है क्या मरने का!! इंजन की सीटी मे

रोज़ समीकरण बदलते है

रोज़ समीकरण बदलते है, हम ठीक है सब इसी धोखे में चलते है! दूसरे की काट के गर्दन, अपनी बचा के निकलते है! कहते है, मीडिया और पोलिटिक्स में ही गन्दा खेल होता है!  अरे जाइये साहब,  दुश्मन हर पेशे में पलते है! कौन  किसका अहसान मानता है आज, जो जिसे बनाता है लोग उसी का दामन  कुचलते है! याद रखियेगा ये किताब कभी बाज़ार में नहीं आएगी, इसके किरदार आयेदिन बदलते है! रोज़ समीकरण बदलते है, हम ठीक कर रहे है सब इसी धोखे में चलते है!

chumbak ho tum!!

तुमसे जुड़ने का कोई इरादा तो नहीं था, न मैंने कभी तुम्हारे खवाब पाले थे! पर जब मिले तो यूँ मिले के फिर अलग होना तो दूर, कभी ख्याल में भी अलग नहीं हुए! जुड़े रहने के लिए प्यार के अलावा भी बहुत कुछ ज़रूरी है, और ये सब मैंने तुम से जाना! दिल में सिर्फ जज़्बात होने से ही बात नहीं बनती, और बात बनाने के लिए सिर्फ बातें ही नहीं चलती!  तुम मुझे कितना अच्छे से समझती हो, इतना की मैंने खुद को समझने की परेशानी तुम्हारे सर डाल दी! जब जी में आता है मैं तुमसे रूठ जाता हु, जब जी में आता है मान जाता हु! पर कहीं दूर जाने का ख्याल कभी मनं में नहीं आता! ऐसा लगता है जैसे तुम्हारे सामने मेरा वजूद लोहा बन जाता है और तुम एक चुम्बक!!

sunn to le yaar (Chaand) !!

चाँद आज बहुत ठंडा है, पता नहीं क्यूँ! रोज़ तो पिघल उठता है, मेरी आँखों की गर्मी से!  कैसा ये परिंदा है, चहकता नहीं जो!! मेरे दिल की गहराई अपनी हदें तोडती है, रूकती नहीं क्यूँ! मन मेरा बेकल हो उठता है, बेचैनी से! कहने को तड़पता है, कहा नहीं जो!! कभी चव्वनी कभी अठन्नी सी सूरत तेरी, लगती है क्यूँ! लगता है तुझे भी चाहिए प्यार, किसी से!  पर ये मौका परस्तो की बस्ती है, पीछे छूट जाता है, समझा नहीं जो!!  

Nazar nahi aate

मुझे मुद्दा बनना पसंद नहीं है, पर दुनिया वाले बाज़ नहीं आते! मुझे फिक्र करना पसंद नहीं है, पर उम्मीदों के ढाल नज़र नहीं आते!! हर ओर मेरा ही ज़िक्र चल रहा है, पर करने वाले नज़र नहीं आते! दोस्त और दुश्मन सब पी रहे है एक ही प्याले में, ज़हर मिलाने वाले नज़र नहीं आते!! सुन ले ऐ काफ़िर वक़्त मेरा भी आएगा, पर अभी आसार नज़र नहीं आते! जीना है अभी बहुत मुझे, हालाँकि जिनसे है प्यार वो नज़र नहीं आते!!

Chalo aaj thodi Rum Pee ley!!

 बहुत दिन हुए कुछ भी लिखे हुए, कभी लिखने को कलम न मिली तो कभी अफसाने न मिले, पर लिखना ज़रूरी है! ज़िन्दगी में बहुत कुछ ऐसा घटता रहता है, जो हमसे पूछ के नहीं होता और न होगा! मैं जो आज कह रहा हु वो कल भी वैसा ही सुनाई दे ये ज़रूरी तो नहीं! मौसम आज अच्छा है चलो थोड़ी जेहनी अय्याशी कर ली जाये, दिल से फिर एक दिल्लगी कर ली जाये! चलो आज थोड़ी सी Rum पी ले, छत पे तो रोज़ चदते है आज बादलों के पार वाले ग़म पी ले! बादलों के पार भी तो कोई रोता ही होगा, चलो एक छलांग भर के उसके ज़ख्म सी ले!! और जब मैं बहकने लगु,  तो दोस्त होने के नाते ये फ़र्ज़ है तेरा!  के तू मेरे हाथ न रोके और ये न कहे की थोडा कम पी ले!! सुनते है ग़ालिब को भी पीने का शौक था, अच्छा शौक था! सयाने होते है पीने वाले, चाहे आज इस बहाने से और कल उस बहाने से पी ले!! Rum के खुलते ही फैल जाती है खुशबू फिज़ाओ में, रुको यार ज़रा महसूस तो करने दो! उफ़ अब ना रोक साकी, चाहे तो मेरी शर्म पी ले!!