कैसे मान लूँ की तुम बेवफाई नहीं करोगी? कसम तो सभी खाते है! कैसे मान लूँ की तुम रुसवाई नहीं करोगी? तमाशा तो सभी बनाते है!! चलो एक बार एतबार कर भी लूँ तुम्हारा, तो क्या? वार तो सभी करते है! मत दिखाओ तुम्हारी ये ऑंखें, क्यूंकि कुछ नहीं होने वाला! मुझे मालूम है की तुम भी बेवफा हो? वफादार हुस्न कभी हुआ है!! वैसे तुम्हे बता दूँ, एक नज़र में मुझे प्यार कभी नहीं हुआ है! ये सितारों की गलती है, और वो ही भुगतेंगे! देखो! कैसे टूट-टूट कर ज़मी पर गिर रहे है!! ना ना उठाओ ना इन्हें, भला टूट के भी चीज़ कोई जुडी है! जाओ अपना दिल कही ओर बहलाओ, किसी और से खेलो! छोड़ दो मुझे अकेला, जैसा सब करते है! सताएगा अकेलापन तो आ जाना मेरे दरवाज़े खुले है, बंद तो बस ये हवा के झोंके करते है!!
Fitoor....jo kagaz pe utar aata hai...