मुझे मुद्दा बनना पसंद नहीं है, पर दुनिया वाले बाज़ नहीं आते!
मुझे फिक्र करना पसंद नहीं है, पर उम्मीदों के ढाल नज़र नहीं आते!!
हर ओर मेरा ही ज़िक्र चल रहा है, पर करने वाले नज़र नहीं आते!
दोस्त और दुश्मन सब पी रहे है एक ही प्याले में, ज़हर मिलाने वाले नज़र नहीं आते!!
सुन ले ऐ काफ़िर वक़्त मेरा भी आएगा, पर अभी आसार नज़र नहीं आते!
जीना है अभी बहुत मुझे, हालाँकि जिनसे है प्यार वो नज़र नहीं आते!!
shukriya
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