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मैं


खोने को कौन मेरे सिवा, पाने को कौन मेरे सिवा। 

भूला भी मैं, जो भूला सा कुछ याद आया वो भी मैं।।


उड़ता परिंदा भी मैं, दहाड़ता जंगल भी मैं। 

जो तू कहे मैं, तो मैं भी मैं, तू भी मैं।।


जो कमाया वो भी मैं, जो गवायाँ वो भी मैं। 

जो दिखाया वो भी मैं, जो छिपाया वो भी मैं।।


ज़ख्म भी मैं, तीर भी मैं। 

जो बहा लहू वो भी मैं, जो लड़ कर गिरा वो भी मैं।।


पानी की परछाई भी मैं, सूरज की आश्नाई भी मैं।

मुझ को मुझ से जुदा करेगा कौन, वो भी मैं।।

 


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