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The bad Omen....

Butterflies are dying and flowers are enjoying. Is this the magic of love....
Doves are crying and hawks are spying. Is this the tragedy of Jove...

When a kingdom face bad time and throne feel insecure... 
The light of the satan prevails, under evil souls....

The queen is dead, king is wounded and the prince is missing.....
Oh! my lord can you interfere when the battle is almost at an end.....

Will I fight or I surrender, only time can tell....
My fate is in your hands whether I will be seen in heaven or hell....

Now I am leaving but before I go, let me take last sip of my favorite wine...
I don't want to be dead with a thirsty soul, my divine!....

Here I come, with all my weapons....
I know evil won't end,Whether I use gun, curse, sword or my blooded shell.....

So let me say my last wish, in the name of my kin....
Long live the queen and long live my king..

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आसान है लिखना

कुछ लोग लिखने को एक आसान काम समझते हैं। है आसान..... मानता हूँ मैं ! मुश्किल नहीं है। आसान तब है जब आपने किसी टूटते हुए तारे को देख लिया। आसान तब है जब आपने कोई तूफ़ान को गुज़रते देख लिया। आसान तब भी हो जाता है जब आप सड़क पर बिखरी भूख़ और गऱीबी देख लेते हैं। तब भी आसान है जब बच्चे अपने बूढ़े माँ-बाप को दर-दर की ठोकरे खाने को सड़क पर छोड़ देते हैं। आसान हो सकता है एक शहीद की जलती चिता देख लिख देना। आसान है किसी गुलबदन का आँचल शब्दों में नाप देना। माँ, प्रकृति, जीवन सबके बारे में आप लिख सकते हैं आसानी से। शायद आप तब भी आसानी से लिख सकते हैं जब पानी में घूमती मछली आपके पैरों में गुदगुदी करती हैं। आप तब भी लिख सकते हैं जब आपको कोई छोड़ जाता है। आप तब भी लिख सकते हैं जब आपको रोना आता है।  पर ये मुश्किल कब है? ये मुश्किल तब है जब ऐसा कुछ हुआ ही नहीं है। जब आपको अपनी गुफ़ा में अंदर घुसना पड़ता है वो भेड़िया ढूंढना पड़ता है जो आपको ढूढ़ रहा है। तब ये बहुत मुश्किल हो जाता है। एक वक़्त के बाद वो रोशनी दिखनी बंद हो जाती है, जिसके सहारे आप चल रहे थे। अब आप कहाँ जाएंगे? आप फँस गए हैं। सही में आप फंस गए हैं। आप उ

मैं भूल जाऊंगा तुम्हें

जब मैं अपनी सबसे सुन्दर कविता लिख रहा होऊँगा, तब मैं भूल जाऊंगा तुम्हें।  मैं भूल जाऊँगा तुम्हारे अधर, लहराते बाल, भँवर पड़ते गाल, बिंदी और कुमकुम को।  मैं भूल जाऊँगा तुम्हारी यादों को, सहज मीठी बातों को, गहरी रातों को, महकती साँसों को।  यकीन मानों मैं भूल जाऊंगा, भूल जाऊंगा उन वादों को, हसीं इरादों को।  मैं याद रखूँगा वो एक कड़वी बात जो तुमने कही थी, जाने-अनजाने में, किसी फ़साने में।   न मुझे सताने को, न भरमाने को, बस कह दी थी, आवेग और शायद आवेश में।  और मैं याद रखूँगा, ये नदी, पहाड़, प्रकृति, पेड़ पर बैठी चिड़िया, तारे और डूबता सूरज।।

वापसी

" परी को   कुछ पता नहीं चलना चाहिये।" " यह कैसे सम्भव है ?" " मुझे नहीं पता पर यही करना होगा।" कहते हुए रेणु ने आंसुओं को छिपाने के लिये मुँह मोड़ लिया। दीपक ने भी उमड़ते हुए जज़्बात ज़ब्त कर लिए। इस रविवार को   उन दोनों को बहुत हिम्मत दिखानी है , बहुत हिम्मत। इतनी ज़्यादा जैसे कुछ हुआ ही न हो और यह रात भी ऐसी बीतेगी जैसी सब रातें बीतती आयी हैं। " अब तुम जाओ" रेणु की सुन दीपक चुपचाप ऑफिस को चल पड़ा। उसका एक-एक क़दम ऐसे भारी हो रखा था, जैसे आत्मा पर बोझ पड़ा हो।     सिर्फ़ तीन महीने में ही अच्छी ख़ासी ज़िन्दगी-क्या से क्या हो गयी। हँसते-खेलते परिवार को जाने किसकी नज़र लग गयी। दीपक के बुरे दिन शुरू हुए तो फिर रुके ही नहीं। कोई छः महीने पहले तक उसका टूर एंड ट्रेवल के क्षेत्र में बड़ा नाम था। उसकी एजेंसी अपने शहर की नामी ट्रेवलिंग एजेंसी में शुमार थी। सब अच्छा ही चल रहा था पर हमेशा तो समय एक सा नहीं रहता। दीपक ने ख़ासे चलते व्यापार में एक जोख़िम उठा लिया। उसने सोना ट्रेवल कंपनी, जो कुछ सालों से घाटे में थी, उसे खरीदने की मंशा पाल ली। दीपक को उसके सी.ए.