Skip to main content

नज़र नहीं आते

मुझे मुद्दा बनना पसंद नहीं, पर दुनिया वाले बाज़ नहीं आते!
मुझे फिक्र करना पसंद नहीं, पर उम्मीदों के ढाल नज़र नहीं आते!!

हर ओर मेरा ही ज़िक्र चल रहा है, पर करने वाले नज़र नहीं आते!
दोस्त और दुश्मन सब पी रहे हमप्याला, पर ज़हर मिलाने वाले नज़र नहीं आते!!

सुन ले ऐ काफ़िर वक़्त मेरा भी आएगा, पर अभी आसार नज़र नहीं आते!
जीना है अभी बहुत मुझे, पर जिनसे है प्यार वो लोग नज़र नहीं आते!!

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

आगे

बढ़ गया हूँ आगे, फिर पीछे कौन खड़ा है।  अड़ गया है साया, इसका क़द मुझसे बड़ा है।। इंसान हो, तो इंसान की तरह पेश आओ।  ये क्या कि अब वो गया, अब ये गया है।। सूरज डूबता है फिर उगने को, पता है ना।  लगता है बस आज (आज ) ही ये भूल गया है।। आज़ाद हो तो साँस लेकर दिखाओ।  क्या मतलब कि सीने पर बोझ पड़ गया है ।। तुम किसको पूछने आये बतलाओ।  वो जिसको ज़माना कब का भूल गया है।।

हुआ सो हुआ

अंधेरा होना था, हुआ सो हुआ  सपना सलोना था, हुआ सो हुआ  आइना न तोड़िये, चेहरे को देखकर  दिल को रोना था, हुआ सो हुआ  कौन पूछेगा हाल, अब तेरे बाद  तुझको ही खोना था, हुआ सो हुआ  मरासिम न रहे, तो न सही  सलाम होना था, हुआ सो हुआ 

होने नहीं देती

इक तड़प है जो सोने नहीं देती  ये दुनियाँ बेरहम रोने नहीं देती मैं चलता चला गली दर गली  मंज़िल है कि खोने नहीं देती  बहुत बार लगा कि कह दें सब  ग़ैरत है के मुँह खोलने नहीं देती  हम भी कभी हसीं थे  हसीं रहूं ये उम्र होने नहीं देती  भरा पेट नफ़रत ही बोता है  भूख़ प्रेम कम होने नहीं देती  नासूर बन गए अब ज़ख्म  फ़ितरत हमें अच्छा होने नहीं देती