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अब तलक वो - ग़ज़ल


अब तलक वो हमें याद करते हैं,

थोड़ा-थोड़ा बर्बाद करते हैं।।


काफ़िला तो गुज़र गया यारों,

मुसाफ़िरों को याद करते हैं।।


मंज़रे सहरा तब उभर आया,

जब वो बारिश की बात करते हैं।।


इंसा-इंसा को भी क्या देगा,

क्यों हम उनसे फ़रियाद करते हैं।। 


ज़िल्लतें जिनकी ख़ातिर पी हमने,

वही हमसे किनारा करते हैं।।


थका-हारा दिल आख़िर टूट गया,

क्यों अब उससे कोई आस रखते हैं।।
















 

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आगे

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हुआ सो हुआ

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होने नहीं देती

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