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चुम्बक हो तुम

तुमसे जुड़ने का कोई इरादा तो नहीं था, न मैंने कभी तुम्हारे खवाब पाले थे! पर जब मिले तो यूँ मिले के फिर दूर होना तो दूर, कभी ख्याल में भी अलग नहीं हुए! जुड़े रहने के लिए प्यार के अलावा भी बहुत कुछ ज़रूरी है, और ये सब मैंने तुम से जाना! दिल में सिर्फ जज़्बात होने से ही बात नहीं बनती, और बात बनाने के लिए सिर्फ बातें ही नहीं चलती! 

तुम मुझे कितना अच्छे से समझती हो, इतना की मैंने खुद को समझने की परेशानी तुम्हारे सिर डाल दी है। जब जी में आता है मैं तुमसे रूठ जाता हूँ, जब जी में आता है मान जाता हूँ! पर तुमसे दूर जाने का ख्याल मन में नहीं आता! ऐसा लगता है जैसे तुम्हारे सामने मेरा वजूद लोहा बन जाता है और तुम एक चुम्बक!!


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आगे

बढ़ गया हूँ आगे, फिर पीछे कौन खड़ा है।  अड़ गया है साया, इसका क़द मुझसे बड़ा है।। इंसान हो, तो इंसान की तरह पेश आओ।  ये क्या कि अब वो गया, अब ये गया है।। सूरज डूबता है फिर उगने को, पता है ना।  लगता है बस आज (आज ) ही ये भूल गया है।। आज़ाद हो तो साँस लेकर दिखाओ।  क्या मतलब कि सीने पर बोझ पड़ गया है ।। तुम किसको पूछने आये बतलाओ।  वो जिसको ज़माना कब का भूल गया है।।

हुआ सो हुआ

अंधेरा होना था, हुआ सो हुआ  सपना सलोना था, हुआ सो हुआ  आइना न तोड़िये, चेहरे को देखकर  दिल को रोना था, हुआ सो हुआ  कौन पूछेगा हाल, अब तेरे बाद  तुझको ही खोना था, हुआ सो हुआ  मरासिम न रहे, तो न सही  सलाम होना था, हुआ सो हुआ 

होने नहीं देती

इक तड़प है जो सोने नहीं देती  ये दुनियाँ बेरहम रोने नहीं देती मैं चलता चला गली दर गली  मंज़िल है कि खोने नहीं देती  बहुत बार लगा कि कह दें सब  ग़ैरत है के मुँह खोलने नहीं देती  हम भी कभी हसीं थे  हसीं रहूं ये उम्र होने नहीं देती  भरा पेट नफ़रत ही बोता है  भूख़ प्रेम कम होने नहीं देती  नासूर बन गए अब ज़ख्म  फ़ितरत हमें अच्छा होने नहीं देती