Skip to main content

आगे

बढ़ गया हूँ आगे, फिर पीछे कौन खड़ा है। 
अड़ गया है साया, इसका क़द मुझसे बड़ा है।।

इंसान हो, तो इंसान की तरह पेश आओ। 
ये क्या कि अब वो गया, अब ये गया है।।

सूरज डूबता है फिर उगने को, पता है ना। 
लगता है बस आज (आज ) ही ये भूल गया है।।

आज़ाद हो तो साँस लेकर दिखाओ। 
क्या मतलब कि सीने पर बोझ पड़ गया है ।।

तुम किसको पूछने आये बतलाओ। 
वो जिसको ज़माना कब का भूल गया है।।












Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

हुआ सो हुआ

अंधेरा होना था, हुआ सो हुआ  सपना सलोना था, हुआ सो हुआ  आइना न तोड़िये, चेहरे को देखकर  दिल को रोना था, हुआ सो हुआ  कौन पूछेगा हाल, अब तेरे बाद  तुझको ही खोना था, हुआ सो हुआ  मरासिम न रहे, तो न सही  सलाम होना था, हुआ सो हुआ 

होने नहीं देती

इक तड़प है जो सोने नहीं देती  ये दुनियाँ बेरहम रोने नहीं देती मैं चलता चला गली दर गली  मंज़िल है कि खोने नहीं देती  बहुत बार लगा कि कह दें सब  ग़ैरत है के मुँह खोलने नहीं देती  हम भी कभी हसीं थे  हसीं रहूं ये उम्र होने नहीं देती  भरा पेट नफ़रत ही बोता है  भूख़ प्रेम कम होने नहीं देती  नासूर बन गए अब ज़ख्म  फ़ितरत हमें अच्छा होने नहीं देती