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कुछ बातें - 15

                 

कुछ लड़कों को लड़कियों के घर के अंदर तक तक आना चाहिए ताकि उनके माँ-बाप भी देख सकें कि दुनियाँ में अभी भी अच्छे लड़के बचे हैं। कुछ लड़कियों को खुल कर हँसना चाहिए ताकि और लड़कियों को भी पता चले कि जीवन मुस्कुरा कर भी जिया जा सकता है। कुछ लड़कियों को बात करते-करते यूँ ही अचानक लड़कों के कन्धों पर हाथ रख लेना चाहिए ताकि लड़कों को भी पता लगे कि लड़कियाँ भी अच्छी दोस्त हो सकती हैं। कुछ लड़कों और लड़कियों को खाने का बिल बाँट लेना चाहिए ताकि बाद में किसी की आँख न झुके। 

कुछ लड़कों को रो लेना चाहिए ताकि और लड़के भी सीख सकें कि लड़कों का रोना कोई गुनाह नहीं है। कुछ लड़कियों को रो लेने देना चाहिए ताकि और लड़कियाँ भी सीख सकें कि सब कुछ रोने से हांसिल नहीं होता। कुछ गिरे हुए बच्चों को उठाना नहीं चाहिए ताकि और बच्चे सीख सकें कि गिर कर ही उठा जाता है। कुछ मर्दों को समय पर घर आ जाना चाहिए ताकि घर पर कम से कम एक समय का खाना सब साथ खा सकें। कुछ औरतों को देर तक घर से बाहर रहना चाहिए ताकि समाज समझ सके कि अब घर गृहस्थी एक की तनख्वाह से नहीं चल पाती। 

कुछ शिक्षकों को छात्रों को क्लास से बाहर निकाल देना चाहिए ताकि दूसरें छात्रों को शिक्षा की अहमियत पता लगे। कुछ छात्रों को अपने शिक्षकों से हमेशा जुड़े रहना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ी सीख सके कि शिक्षकों का हमारे जीवन में क्या स्थान है। कुछ प्रार्थनाओं को ज़ोर से बोलना चाहिए ताकि चाहे वे ईश्वर तक पहुंचे न पहुंचे पर उन कानों तक पहुंचे जिन पर कभी जू भी नहीं रेंगती। कुछ प्रार्थनाओं को मन में ही रखना चाहिए ताकि वे कभी भी पूरी न हो जिनसे दूसरों का अहित हो। 

कुछ बातों को हल्के में लेना चाहिए ताकि जीवन बोझिल न हो। कुछ बातों को लिख लेना चाहिए, जो ख़ुद से वायदा किया हो। कुछ दोस्तों को उनके जन्मदिन पर अचानक उनके घर जाकर चौंका देना चाहिए ताकि दोस्ती में प्यार बना रहे। कुछ दोस्तों को फ़ोन करके कुछ कहना नहीं सिर्फ़ सुनना चाहिए ताकि वे अपना दिल हल्का कर सकें। कुछ बातों को लिख कर भूल जाना चाहिए, कुछ बातों को सुन कर याद रखना चाहिए। 

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आगे

बढ़ गया हूँ आगे, फिर पीछे कौन खड़ा है।  अड़ गया है साया, इसका क़द मुझसे बड़ा है।। इंसान हो, तो इंसान की तरह पेश आओ।  ये क्या कि अब वो गया, अब ये गया है।। सूरज डूबता है फिर उगने को, पता है ना।  लगता है बस आज (आज ) ही ये भूल गया है।। आज़ाद हो तो साँस लेकर दिखाओ।  क्या मतलब कि सीने पर बोझ पड़ गया है ।। तुम किसको पूछने आये बतलाओ।  वो जिसको ज़माना कब का भूल गया है।।

हुआ सो हुआ

अंधेरा होना था, हुआ सो हुआ  सपना सलोना था, हुआ सो हुआ  आइना न तोड़िये, चेहरे को देखकर  दिल को रोना था, हुआ सो हुआ  कौन पूछेगा हाल, अब तेरे बाद  तुझको ही खोना था, हुआ सो हुआ  मरासिम न रहे, तो न सही  सलाम होना था, हुआ सो हुआ 

होने नहीं देती

इक तड़प है जो सोने नहीं देती  ये दुनियाँ बेरहम रोने नहीं देती मैं चलता चला गली दर गली  मंज़िल है कि खोने नहीं देती  बहुत बार लगा कि कह दें सब  ग़ैरत है के मुँह खोलने नहीं देती  हम भी कभी हसीं थे  हसीं रहूं ये उम्र होने नहीं देती  भरा पेट नफ़रत ही बोता है  भूख़ प्रेम कम होने नहीं देती  नासूर बन गए अब ज़ख्म  फ़ितरत हमें अच्छा होने नहीं देती