कुछ अजीब प्यार है अपना। जब सामना होता है तो नज़रें चुराना होता है। और जब दूरी बढ़ती है, तो तुम्हारे ही पास आना होता है।
कुछ अजीब प्यार है अपना। ज़ख़्म भी दिखाना होता है और दर्द भी छुपाना होता है। और जब दर्द बढ़ता है, तो वो तुम तक आने का बहाना होता है।
कुछ अजीब प्यार है अपना। ये दिल तुम पर ही आता है और तुम्हें ही सताता है। और जब ख़ुद बेकल हो जाता है, तो तुममें ही पनाह पाता है।
कुछ अजीब प्यार है अपना। जो तुम्हारे आते ही ऑटो के मीटर सा डाउन हो जाता है। तुम जल्द चले जाओगे, बस यही सोचता चला जाता है।
कुछ अजीब प्यार है अपना। जो तुम्हें रुई सा छू जाता है और चट्टान से टकरा जाता है। तुम्हारी आँखों में आँसू, कभी देख नहीं पाता है।
कुछ अजीब प्यार है अपना। मुझे इतना स्वाभाविक लगता है कि इसके बिना अजीब लगता है। तुम मेरे हो बस मेरे, अब यही अपना पता लगता है।
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