Vikas' Book Journal: जे - लोकेश गुलयानी: किताब 8 फ़रवरी 2019 से 9 फरवरी 2019 के बीच पढ़ी गई संस्करण विवरण: फॉर्मेट: पेपरबैक पृष्ठ संख्या : 144 प्रकाशन: कश्यप पब्लिकेशन आईएसबीएन...
बढ़ गया हूँ आगे, फिर पीछे कौन खड़ा है। अड़ गया है साया, इसका क़द मुझसे बड़ा है।। इंसान हो, तो इंसान की तरह पेश आओ। ये क्या कि अब वो गया, अब ये गया है।। सूरज डूबता है फिर उगने को, पता है ना। लगता है बस आज (आज ) ही ये भूल गया है।। आज़ाद हो तो साँस लेकर दिखाओ। क्या मतलब कि सीने पर बोझ पड़ गया है ।। तुम किसको पूछने आये बतलाओ। वो जिसको ज़माना कब का भूल गया है।।
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