बढ़ गया हूँ आगे, फिर पीछे कौन खड़ा है। अड़ गया है साया, इसका क़द मुझसे बड़ा है।। इंसान हो, तो इंसान की तरह पेश आओ। ये क्या कि अब वो गया, अब ये गया है।। सूरज डूबता है फिर उगने को, पता है ना। लगता है बस आज (आज ) ही ये भूल गया है।। आज़ाद हो तो साँस लेकर दिखाओ। क्या मतलब कि सीने पर बोझ पड़ गया है ।। तुम किसको पूछने आये बतलाओ। वो जिसको ज़माना कब का भूल गया है।।
Fitoor....jo kagaz pe utar aata hai...
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