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Ghalib Khada Bazaar Mein!!

Ghalib khada bazar mein liye hath mein 4 kanchiyan, dhoondh raha sathi jo khel sake sath vo kanchiayn.

Pehli awaz Nida fazli ko lagai to jawab aaya "busy hu! Mushayra hai."

Doosri awaz Javed Akhtar ko lagai to jawab dene unki Beghum aayi.

Jhunjhla ke teesri awaz Munnawar Rana ko lagai to na palat ke na jawab aaya na di gai koi safai.

Thak kar miyan ghalib ne ek thaki awaz Gulzar ko lagai to jawab aaya "likhne mein masroof hu bhai."

Pareshan hokar ghalib chal diye wapas apni kabr mein ye kehte hue "maine bekar hi itni hai-tauba machai, aaj jab kanchiayn khelna chaha to puri jamat hi na aayi."

Comments

  1. few words of ur told d whole story of a struggler .. recommendable writtin ds s

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  2. few words of ur told d whole story of a struggler .. recommendable writtin ds s

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आगे

बढ़ गया हूँ आगे, फिर पीछे कौन खड़ा है।  अड़ गया है साया, इसका क़द मुझसे बड़ा है।। इंसान हो, तो इंसान की तरह पेश आओ।  ये क्या कि अब वो गया, अब ये गया है।। सूरज डूबता है फिर उगने को, पता है ना।  लगता है बस आज (आज ) ही ये भूल गया है।। आज़ाद हो तो साँस लेकर दिखाओ।  क्या मतलब कि सीने पर बोझ पड़ गया है ।। तुम किसको पूछने आये बतलाओ।  वो जिसको ज़माना कब का भूल गया है।।

हुआ सो हुआ

अंधेरा होना था, हुआ सो हुआ  सपना सलोना था, हुआ सो हुआ  आइना न तोड़िये, चेहरे को देखकर  दिल को रोना था, हुआ सो हुआ  कौन पूछेगा हाल, अब तेरे बाद  तुझको ही खोना था, हुआ सो हुआ  मरासिम न रहे, तो न सही  सलाम होना था, हुआ सो हुआ 

होने नहीं देती

इक तड़प है जो सोने नहीं देती  ये दुनियाँ बेरहम रोने नहीं देती मैं चलता चला गली दर गली  मंज़िल है कि खोने नहीं देती  बहुत बार लगा कि कह दें सब  ग़ैरत है के मुँह खोलने नहीं देती  हम भी कभी हसीं थे  हसीं रहूं ये उम्र होने नहीं देती  भरा पेट नफ़रत ही बोता है  भूख़ प्रेम कम होने नहीं देती  नासूर बन गए अब ज़ख्म  फ़ितरत हमें अच्छा होने नहीं देती