Skip to main content

Posts

Showing posts from October, 2024

आखिरी रात

तुझसे मिलने की आखिरी रात थी। दूर बजती शहनाइयाँ  भी  उदास थी।। खुद्दारी, जोश, जूनून, दीवानापन। न जाने ये किस दौर की बात थी।। मेरे हिस्से जितना आया, कम आया। दिल में हर पल समाई इक प्यास थी।। मैं कौन हूं, क्या हूं, क्या हो सकता था। मेरी बस तुम्हें ही शिनाख्त थी।। कोई हिचकी आई अभी-अभी। शायद वो पर्दानशीं उदास थी।।