हर कोई परस्पर भिड़ जायेगा । धर्म युद्ध जब छिड़ जायेगा ।। नर मुण्ड पड़े होंगे, लगेगा खूब लड़े होंगे । इक तरफ़ा सुनवाई होगी, अनगिनत रूसवाई होंगी ।। चेतने का वक़्त जा चुका, पीछे लौटने का अवसर नहीं । आगे बढ़ ओ धर्म योद्धा, उठा फरसा बन परशुराम फिर ।। काट दे अधर्म की डोर, जला दे पाप की नगरी। हर कोई तुझमें मिल जायेगा, धर्म युद्ध जब छिड़ जाएगा ।।
Fitoor....jo kagaz pe utar aata hai...